सोल्डरिंग क्या है और कितने प्रकार की होती है?|What is Soldering and Types of Soldering

हेलो दोस्तों, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में, दो तार, एक तार को एक शीट या दो शीट से जोड़ने की आवश्यकता उत्पन्न होती है। तार के मुड़ने और जुड़ने के बाद भी, कंपन के कारण इसे ढीला होने से बचाने के लिए जोड़ को सोल्डर करने की आवश्यकता होती है। तो आईये जानते है सोल्डरिंग क्या है और कितने प्रकार की होती है ?

सोल्डरिंग क्या है? [What is soldering]

धातु या असमान धातु के तारों या पतली चादरों [letters] या तारों को चादरों से जोड़ने की प्रक्रिया को सोल्डरिंग कहते हैं।

यह प्रक्रिया सोल्डर सामग्री का उपयोग करती है जो कुछ गर्मी को पिघला देती है और संयुक्त में फैल जाती है। सोल्डरिंग का उपयोग केबल जोड़ने, तारों के साधारण जोड़ बनाने, मुद्रित सर्किट बोर्डों [Printed Circuit Board] की वायरिंग, केबल लग्स को तारों से जोड़ने, उद्योग में बर्तनों को जोड़ने में किया जाता है।

सोल्डरिंग के प्रकार [Types of Soldering]

सोल्डर दो प्रकार के होते हैं।

1) शीतल सोल्डर (Soft Solder)

2) कठोर सोल्डर (Hard Solder)

1) शीतल सोल्डर (Soft Solder)

इसका कार्य तापमान 450 C से कम है।

2) कठोर सोल्डर (Hard Solder)

इसका कार्य तापमान 450 C से अधिक है।

सीसा [lead] और टिन सोल्डर आम उपयोग में हैं। इसकी विभिन्न संरचनाएँ इस प्रकार हैं।

[1] 60% टिन + 40% सीसा – इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल काम के लिए उपयोग किया जाता है। पिघलने का तापमान 183 C से 188 C है।

[2] 50% टिन + 50% सीसा – इसका पिघलने का तापमान 183 C से 215 C है।

[3] 45% टिन + 55% सीसा – सामान्य प्रयोजन सोल्डर [general purpose solder] और शीट मेटल के लिए उपयोग किया जाता है। तापमान सीमा 183 C से 227 C है।

[4] 40% टिन + 60% सीसा -एक सामान्य प्रयोजन सोल्डर है। उद्योगों में उपयोगी। तापमान सीमा 183 C से 236 C है।

सॉफ्ट सोल्डर और हार्ड सोल्डर के बीच अंतर [Difference between Soft Soldering and Hard Soldering]

[A] सॉफ्ट सोल्डर [Soft Soldering]

1) कार्य तापमान 450 C से कम है।

2) सॉफ्ट सोल्डर टिन और लेड की मिश्र धातु का उपयोग करता है।

3) सोल्डरिंग को इलेक्ट्रिक सोल्डरिंग आयरन से किया जा सकता है।

4) रिवार्मिंग जोड़ों को खोलता है।

5) शीट्स, तारों आदि के सोल्डरिंग के लिए उपयोग किया जाता है।

[B] हार्ड सोल्डर [Hard Soldering]

1) कार्य तापमान 450 से अधिक है।

2) हार्ड सोल्डर तांबे और जस्ता के मिश्र धातु का उपयोग करता है।

3) सोल्डर को अलग से पिघलाना होता है और फिर सोल्डर करना होता है।

4) दोबारा गर्म करने से जोड़ नहीं खुलते।

5) भारी गहनों के लिए उपयोग किया जाता है।

सोल्डर की विशेषता – [Properties of soldering]

1) सोल्डर को अन्य धातु के साथ अच्छी तरह से बंधना चाहिए।

2) सोल्डर को द्रव अवस्था में पिघलना चाहिए।

3) टांका लगाने योग्य होना चाहिए ताकि यह अलग-अलग छर्रों को बनाए बिना सोल्डरिंग बिंदु को जल्दी से कवर कर सके।

4) सोल्डर फ्लक्स के साथ रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया न करने के लिए देखभाल की जानी चाहिए।

5) विद्युत के लिए प्रयुक्त सोल्डर में अच्छी विद्युत चालकता होनी चाहिए।

6) सोल्डर में रासायनिक, यांत्रिक आदि गुण होने चाहिए जैसे पानी की जकड़न, अम्ल [acid] प्रतिरोध, ऊष्मा प्रतिरोध, मशीनीकरण, लोच आदि।

7) सोल्डर का गलनांक [Melting Point] वर्कपीस सामग्री के गलनांक से कम होना चाहिए। यही कारण है कि सोल्डर सामग्री हमेशा एक मिश्र धातु होती है, क्योंकि मिश्र धातु का गलनांक आधार धातु के गलनांक से कम होता है।

Conclusion

तो Friend’s उम्मीद है, की सोल्डरिंग क्या है और कितने प्रकार की होती है?[ What is soldering and Types of Soldering] ये आपको पता चल गया होगा और आपके सवालों का जवाब मिल गया होगा, अगर आपको अभी भी कोई सवाल है तो आप कमेंट कर के जर्रूर बताये और इलेक्ट्रिकल के Related आपको कोई भी Question हो तो कमेंट [comment] करके जरूर बताये. और ये पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने FRIENDS को जरूर शेयर करे.Electrical Soch से जुड़ने के लिए आपको दिल से Thank You

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