हेलो दोस्त, आप सब लोगोने मेरे अगले आर्टिकल में पढ़ा ही होगा की CT और PT क्या है? और ट्रांसफार्मर के बारे में भी आप सब लोग जान गए होंगे? तो दोस्तों आज हम CT और PT में क्या अंतर है? वो जानेगे और किस तरह CT और PT कैसे एक दूसरे से अलग होते है वो जानेगे तो आईये जानते है?
Contents
CT में क्या अंतर है?
1) CT का पूरा नाम करंट ट्रांसफार्मर है
2) CT का उपयोग करंट मापने के लिए इस्तेमाल करते हैं, इस लिए इसको करंट ट्रांसफार्मर (CT) कहते हैं।
3) CT को सीरीज ट्रांसफार्मर कहा जा सकता है
4) CT में सेकेंडरी वाइंडिंग हमेशा शॉर्ट सर्किट की स्थिति में होती है।
5) CT में प्राइमरी करंट सेकेंडरी करंट या बोझ से स्वतंत्र होता है।
6) CT में प्राइमरी टर्मिनल और फुल लाइन करंट फ्लो में बहुत कम वोल्टेज होता है।
7) CT में लोड करंट में बदलाव से प्राइमरी करंट में बदलाव होता है, इसलिए CT की उत्तेजना बहुत बड़ी सीमा के भीतर बदल जाती है।
8) CT में करंट को स्टेप डाउन [Step Down] करते हैं।
9) CT में प्रायमरी वाइंडिंग, सेकंडरी वाइंडिंग से छोटी होती है।
10) CT में इनपुट(input) करंट की शुद्धता [accuracy] रखनी बहुत मुश्किल होता है।
11) CT में आउटपुट [output] ज्यादातर एक ही होती है।
12) CT में प्रतिबाधा [impedance] कुछ खास मायने नही रखता।
13) CT के आउटपुट पे उच्च प्रतिरोधक [High Resistive] लोड लगाना सुरक्षित नही होता।
14) CT के आउटपुट को अगर हम शार्ट कर देंगे तो भी कोई खतरा नहीं है क्युकी आउटपुट को आपसमे शार्ट करनेसे कोई भी फर्क नहीं पड़ता।
15) CT का सिम्बोल निचे दर्शाया गया है
PT में क्या अंतर है?
1) PT का पूरा नाम पोटेंशियल ट्रांसफार्मर है
2) PT का उपयोग वोल्टेज मापने के लिए इस्तेमाल करते हैं, इस लिए इसको पोटेंशिअल ट्रांसफार्मर (PT) कहते हैं,और इसे वोल्टेज ट्रांसफार्मर भी कहा जाता हैं।
3) PT में समानांतर (parallel) ट्रांसफार्मर कहा जा सकता है।
4) PT में सेकेंडरी वाइंडिंग हमेशा ओपन सर्किट कंडीशन में होती है।
5) PT में प्राथमिक धारा द्वितीयक बोझ पर निर्भर करती है।
6) PT में प्राथमिक के टर्मिनलों में पूर्ण लाइन वोल्टेज है और इसके माध्यम से कोई लाइन करंट प्रवाहित नहीं होता है।
7) PT में लाइन वोल्टेज लगभग स्थिर है इसलिए प्राथमिक करंट और रोमांचक करंट लगभग स्थिर हैं।
8) PT में वोल्टेज को स्टेप डाउन [Step Down] करते हैं।
9) PT में प्रायमरी वाइंडिंग, सेकंडरी वाइंडिंग से बड़ी होती है।
10) PT में इनपुट(input) वोल्टेज शुद्धता [accuracy] रखना बहुत आसान होता है।
11) PT में बहुत सारे आउटपुट [output] हो सकते हैं।
12) PT में प्रतिबाधा [impedance] बहुत ही ज्यादा मायने रखता है।
13) PT के आउटपुट पे कम प्रतिरोधक [High Resistive] लोड लगाना खतरनाक होता है।
14) PT के आउटपुट को अगर शार्ट कर देंगे तो PT जल जायेगा।
15) PT का सिम्बोल निचे दर्शाया गया है
Conclusion
तो Friend’s उम्मीद है, की CT और PT में क्या अंतर है? [Difference Between CT and PT] ये आपको पता चल गया होगा और आपके सवालों का जवाब मिल गया होगा, अगर आपको अभी भी कोई सवाल है तो आप कमेंट कर के जर्रूर बताये और इलेक्ट्रिकल ke Related आपको कोई भी Question हो तो कमेंट [comment] करके जरूर बताये. और ये पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने FRIENDS को जरूर शेयर करे.
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